Friday, 25 March 2016

गढ़ायी

गढ़ायी
मैं,
लिखती हूँ के तुम तो,
या फिर तुम हो के मैं लिखती हूँ ?
या मैं हूँ के तुम हो? 
या फिर तुम हो के मैं हूँ?
या फिर एक तुम हो,
और एक मैं हूँ,
या फिर ना तुम हो, ना मैं हूँ,
बस मैं लिखती हूँ,
कभी तुम्हें,
कभी ख़ुद को...
-विनी
२२/१२/१५

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