आज कोई बात ना बनी
सुबह हुई फिर शाम भी हुई
बस कोई बात ही ना बनी
हर साँस उधार रही
हर शह उदास रही
कोई अपना सा ना लगा
बस कोई बात ही ना बनी
चाँद भी छिपा रहा
बादलों के आग़ोश में
तारे भी रोशन हुए, मगर कम कम
बस आज कोई बात ही ना बनी
वक़्त की गर्द में
एक और दिन गुम गया
और मुस्कुराया भी नहीं
आज कोई बात ही ना बनी ...
-विनी
१८/१२/१५
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