सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते-जाते...
वरना इतने तो मरासिम थे कि आते जाते...
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जानाँ,
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते...
-अहमद फ़राज़
वरना इतने तो मरासिम थे कि आते जाते...
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जानाँ,
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते...
-अहमद फ़राज़
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