Sunday, 7 September 2014

जाने क्यों होता है ऐसा Jaane kyon hota hai aisa


जाने क्यों होता है ऐसा, 
हर बार, 
जब बात होती है तुमसे, 
कुछ है जो रह जाता है कहने से, 
दिलकी खामोश धड़कन में क़ैद, 
नाज़ुक, बेचैन  सा वोह एहसास, 
अल्फ़ाज़ों की बंदिश से महरूम,
उस लम्हे में कांपता, 
बेचारा सा,
शायद इस इंतज़ार में ज़िंदा है, 
के कभी किसी रोज़, 
तुम खुद ही कह दोगे  उसे ...
~ विन्नी 
७/९/१४ 

Jaane kyon hota hai aisa,
 har bar,
Jab baat hoti hai tumse,
Kuch hai jo reh jaata hai kehne se,
Dil ki khamosh dhadkan main qaid,
Nazuk baichain sa woh ehsas,
Alfazon ki bandish se mehroom,
Us lamhe main kampta
Bechara sa…
Shayad is intezaar main,
Jinda hai,
Ki kabhi, kisi roz
Tum khud hee keh doge use…
~Vinny

7/9/14

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