my #Hindi-poems, my #travelogues, my #Movie-reviews and my #perception about life as i experience it,its a journey that i share...
Sunday, 23 October 2016
Thursday, 15 September 2016
AUTUMN
AUTUMN
I’ve shed all my summer leaves,
given up the familiar,
the burnt amber of those memories,
mulch, mildewed in the soft rain,
I’ve searched high and low,
Burrowed beneath every suface,
Looking for light warmth, hope, and you,
and then from somewhere upthere in the firmament,
from amongst the flickering hope like stars,
you reach out a long cold finger,
my skin flushes, pink,
given up the familiar,
the burnt amber of those memories,
mulch, mildewed in the soft rain,
I’ve searched high and low,
Burrowed beneath every suface,
Looking for light warmth, hope, and you,
and then from somewhere upthere in the firmament,
from amongst the flickering hope like stars,
you reach out a long cold finger,
my skin flushes, pink,
renued, my heart delights,
and I feel again,
and I feel again,
the cool, still, breadth of winter...
-vinny
-vinny
15/9/16
Sunday, 28 August 2016
लोग कहते हैं
लोग कहते हैं
लोग कहते हैं,
चाँद में एक बूढी औरत रहती है,
और समुन्दर की गर्त में,
जलपरियों का महल है,
सूरज सात सफ़ेद घोड़ों के रथ पे सवार ,
रोज़ आसमानों के चक्कर लगता है,
और रात होने पर,
परियां बर्फ के सफ़ेद मैदानों में खेला करती हैं,
लोग क्या क्या कहते हैं,
कहते हैं,तलवार से कलम बलवान है,
और ये के अंत में,
सच की ही जीत होती है,
ये के समय का चाक घूमता रहता है, अविरत,
और देर से ही सही,
ईश्वर के दरबार में न्याय होता है,
लोग क्या क्या कहते हैं...
~ विन्नी
२८/८/१६
लोग कहते हैं,
चाँद में एक बूढी औरत रहती है,
और समुन्दर की गर्त में,
जलपरियों का महल है,
सूरज सात सफ़ेद घोड़ों के रथ पे सवार ,
रोज़ आसमानों के चक्कर लगता है,
और रात होने पर,
परियां बर्फ के सफ़ेद मैदानों में खेला करती हैं,
लोग क्या क्या कहते हैं,
कहते हैं,तलवार से कलम बलवान है,
और ये के अंत में,
सच की ही जीत होती है,
ये के समय का चाक घूमता रहता है, अविरत,
और देर से ही सही,
ईश्वर के दरबार में न्याय होता है,
लोग क्या क्या कहते हैं...
~ विन्नी
२८/८/१६
Wednesday, 17 August 2016
बादल बरसे नहीं आज
और अब यूँ है के
बादल जब आते है मेरे आकाश
तो आते है किसी तूफ़ान से नहीं
भीगी भी नहीं इन बारिशों में मैं
यूँ नहीं जैसे किसी शदीद अहसास की गिरफ़्त हो
बस कुछ रंग ज़रूर नज़र आते है फलक पर
कभी फीके, कभी चटक भी
लेकिन दूर , गिरफ़्त से दूर,
बस नज़र के पैमानों में रंग भरते
घड़ी भर के लिए
जाने क्या हुआ है
इस बरस मैं बदल गयी हूँ
या फिर ये बादल भी तुम से हैं
दूर , बस दूर, नज़र के पैमानों में रंग भरते
घड़ी भर के लिए ..
-विनी
२६/७/१६
बादल जब आते है मेरे आकाश
तो आते है किसी तूफ़ान से नहीं
भीगी भी नहीं इन बारिशों में मैं
यूँ नहीं जैसे किसी शदीद अहसास की गिरफ़्त हो
बस कुछ रंग ज़रूर नज़र आते है फलक पर
कभी फीके, कभी चटक भी
लेकिन दूर , गिरफ़्त से दूर,
बस नज़र के पैमानों में रंग भरते
घड़ी भर के लिए
जाने क्या हुआ है
इस बरस मैं बदल गयी हूँ
या फिर ये बादल भी तुम से हैं
दूर , बस दूर, नज़र के पैमानों में रंग भरते
घड़ी भर के लिए ..
-विनी
२६/७/१६
Paperweight
Paperweight (पेपर वेट )
आज मेज़ पर कुछ काग़ज़ बिखरे थे,
पंखे की तेज़ हवा में उड़ते,
बेतरतीब,
कुछ ज़रूरी कुछ मामूली,
कुछ रंगीन,कुछ जर्द कोरे,
और कुछ ऐसे भी,
जिन के होने का सबब बाक़ी नहीं हो अब,
लेकिन फिर भी हों,
हों हवाओं में उड़ने को तैयार,
उन्हें देख यूँ लगा जैसे,
एक पेपर वेट काफ़ी है,
ऐसे सभी अरमानों की परवाज़ रोक लेने को,
कुछ उसी तरह जैसे,
जब दिल पर पत्थर रख लेते हैं लोग,
और ख़्वाहिशें दब कर दम तोड़ देती हैं,
उस बोझ तले ...
-विनी
१६/८/१६
पंखे की तेज़ हवा में उड़ते,
बेतरतीब,
कुछ ज़रूरी कुछ मामूली,
कुछ रंगीन,कुछ जर्द कोरे,
और कुछ ऐसे भी,
जिन के होने का सबब बाक़ी नहीं हो अब,
लेकिन फिर भी हों,
हों हवाओं में उड़ने को तैयार,
उन्हें देख यूँ लगा जैसे,
एक पेपर वेट काफ़ी है,
ऐसे सभी अरमानों की परवाज़ रोक लेने को,
कुछ उसी तरह जैसे,
जब दिल पर पत्थर रख लेते हैं लोग,
और ख़्वाहिशें दब कर दम तोड़ देती हैं,
उस बोझ तले ...
-विनी
१६/८/१६
Wednesday, 3 August 2016
The Light and the Dark
The light and the dark
The night steals in, quiet,
Where were you all day? He asked?
I couldn't see beyond the shadows,
They were everywhere,
I had to look up a friend she said,
A dream catcher,
Took some convincing but now he's here,
My dreams will have some colour now ,
They were getting a tad dreary you know ,
The day smiled, to each our own he said,
Personally I'd rather live in the hundred shades of grey you have,
Than the blinding lights,
It seems to me, she said,
You and I , we live ,
Neither in the harshness of the lights,
Nor in the dead of the dark ,
But in the spaces in between ....
`~Vinny
21/7/16
Wednesday, 6 July 2016
इंतज़ार
इंतज़ार
तुम हो,
हो, उन काले बादलों की मानिंद,
हवा की इस महक भरी नमी की मानिंद,
हो, वो एहसास हो,
जो है नहीं , लेकिन फिर भी,
जिस के होने से,
दिल सब्ज़ है, इन दिनों,
तुम,
किसी दिन उस बादल से,
बरस जाओ अगर,
तो सूर्खरूह हो जाऊँ मैं भी,
कुछ, इस बरखा में खिले,
उस सुर्ख़ गुल की मानिंद ...
-विनी
६/७/१६
हो, उन काले बादलों की मानिंद,
हवा की इस महक भरी नमी की मानिंद,
हो, वो एहसास हो,
जो है नहीं , लेकिन फिर भी,
जिस के होने से,
दिल सब्ज़ है, इन दिनों,
तुम,
किसी दिन उस बादल से,
बरस जाओ अगर,
तो सूर्खरूह हो जाऊँ मैं भी,
कुछ, इस बरखा में खिले,
उस सुर्ख़ गुल की मानिंद ...
-विनी
६/७/१६
Subscribe to:
Posts (Atom)