Wednesday 17 August 2016

Paperweight



Paperweight (पेपर वेट )
आज मेज़ पर कुछ काग़ज़ बिखरे थे,
पंखे की तेज़ हवा में उड़ते,
बेतरतीब,
कुछ ज़रूरी कुछ मामूली,
कुछ रंगीन,कुछ जर्द कोरे,
और कुछ ऐसे भी,
जिन के होने का सबब बाक़ी नहीं हो अब,
लेकिन फिर भी हों,
हों हवाओं में उड़ने को तैयार,
उन्हें देख यूँ लगा जैसे,
एक पेपर वेट काफ़ी है,
ऐसे सभी अरमानों की परवाज़ रोक लेने को,
कुछ उसी तरह जैसे,
जब दिल पर पत्थर रख लेते हैं लोग,
और ख़्वाहिशें दब कर दम तोड़ देती हैं,
उस बोझ तले ...
-विनी
१६/८/१६

No comments:

Post a Comment