Wednesday 17 August 2016

बादल बरसे नहीं आज



बादल बरसे नहीं आज
और अब यूँ है के
बादल जब आते है मेरे आकाश
तो आते है किसी तूफ़ान से नहीं 
भीगी भी नहीं इन बारिशों में मैं
यूँ नहीं जैसे किसी शदीद अहसास की गिरफ़्त हो
बस कुछ रंग ज़रूर नज़र आते है फलक पर
कभी फीके, कभी चटक भी
लेकिन दूर , गिरफ़्त से दूर,
बस नज़र के पैमानों में रंग भरते
घड़ी भर के लिए
जाने क्या हुआ है
इस बरस मैं बदल गयी हूँ
या फिर ये बादल भी तुम से हैं
दूर , बस दूर, नज़र के पैमानों में रंग भरते
घड़ी भर के लिए ..
-विनी
२६/७/१६

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