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Monday, 14 May 2018
chup
आज उस ने पूछ ही लिया आख़िर, इस क़दर ख़ामोश क्यों हो? क्या कहूँ क्या न कहूँ खुद ही सुन ले वो जिसे सुनने का शऊर हो चुप हूँ उन खामोश किताबों की मानिंद जिन की ज़िल्दों से अलफ़ाज़ झांकते हैं ~ विन्नी 14/5/18
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