बहार
सुना है बहार बस आने को है
सूखी शाखें सब्ज़ हुआ चाहती है
गुल सुर्ख़ हुआ चाहते है
हवाएँ नरम हुआ चाहती हैं
हाँ दिन का आसमा नीला है
और रात का चाँद रोशन
एक अजब धड़कन सी सुनती है
गुन गुन गुन गुन
और दिल की सख़्त दीवारों पर
एक नया हरा ख़्वाब उग आया है
सुना है बहार बस आने को है ..
सुना है बहार बस आने को है
सूखी शाखें सब्ज़ हुआ चाहती है
गुल सुर्ख़ हुआ चाहते है
हवाएँ नरम हुआ चाहती हैं
हाँ दिन का आसमा नीला है
और रात का चाँद रोशन
एक अजब धड़कन सी सुनती है
गुन गुन गुन गुन
और दिल की सख़्त दीवारों पर
एक नया हरा ख़्वाब उग आया है
सुना है बहार बस आने को है ..
सुना है बहार बस आने
को है
नए एहसास मेहमान हुआ चाहते हैं
नग़मा बन एक तबससुम लिपटा है लबों से
मद होश कोई जाम ख़ुद ही छलक जाए जैसे
और एक चाप सी कहती है
सुन सुन सुन सुन
हाँ आँख नम है और धड़कन तेज़
लहू की रवानी में नयी लय सी है
और दिल को उसकी आमद का
इंतज़ार है शायद
सुना है बहार बस आने को है...
विनी
सिमला
२९/३/१६
नए एहसास मेहमान हुआ चाहते हैं
नग़मा बन एक तबससुम लिपटा है लबों से
मद होश कोई जाम ख़ुद ही छलक जाए जैसे
और एक चाप सी कहती है
सुन सुन सुन सुन
हाँ आँख नम है और धड़कन तेज़
लहू की रवानी में नयी लय सी है
और दिल को उसकी आमद का
इंतज़ार है शायद
सुना है बहार बस आने को है...
विनी
सिमला
२९/३/१६