अक्सर होता है ऐसा
लफ़्ज़ रूठ जाते है सभी
अक्सर तभी
जब दिल लबरेज़ हो
अहससातों से
ज़बान साथ नहीं देती तभी
मेरी ख़ामोशी के ये फूल
क़बूल कर लो तुम
ये कहते है वो सब
जो मेरा दिल कहना चाहता है
लेकिन दिमाग़ मानता नहीं
आज फिर ख़ामोश हूँ मैं ...
-विनी
१४/२/१६
(वैलेंटायन डे था और फूल दे रहे थे सभी...)
लफ़्ज़ रूठ जाते है सभी
अक्सर तभी
जब दिल लबरेज़ हो
अहससातों से
ज़बान साथ नहीं देती तभी
मेरी ख़ामोशी के ये फूल
क़बूल कर लो तुम
ये कहते है वो सब
जो मेरा दिल कहना चाहता है
लेकिन दिमाग़ मानता नहीं
आज फिर ख़ामोश हूँ मैं ...
-विनी
१४/२/१६
(वैलेंटायन डे था और फूल दे रहे थे सभी...)