सफर
कभी किसी सफर में दो मुसाफिर मिले
कुछ दूर साथ चले तो
बात भी हुई
वो कहते हैं ना
जो खुश हैं, सभी एक से हैं
ये जो गम हैं, वही हैं अनेक
हर दिल को सालने वाली चुभन
अपने आप में अनोखी है ,
शायद इसी लिए जब तक बात ख़ुशी की थी
दोनों की एक सी थी
फिर जब बांटा वो जो दिल को सालता है भीतर ही भीतर
लगा नहीं ये मैं नहीं
ये तुम हो, कोई और हो, कहीं और से आये हो,
कोई और ही सफर है तुम्हारा
वो जो नहीं है मेरा, नहीं हो सकता मेरा
उसी पल में बदल गया मन का मौसम
एक बेरुखी आ बैठी बीच
और वे जो एक हो सकते थे
फिर से अपने अपने कोनों में सिमट गए
रेल गाड़ी स्टेशन पर रुकी
और अपना अपना बोझा लिए
अपने अपने घर को लौट आये
दो मुसाफिर। ..
- vinny
१४/१२/१७
कभी किसी सफर में दो मुसाफिर मिले
कुछ दूर साथ चले तो
बात भी हुई
वो कहते हैं ना
जो खुश हैं, सभी एक से हैं
ये जो गम हैं, वही हैं अनेक
हर दिल को सालने वाली चुभन
अपने आप में अनोखी है ,
शायद इसी लिए जब तक बात ख़ुशी की थी
दोनों की एक सी थी
फिर जब बांटा वो जो दिल को सालता है भीतर ही भीतर
लगा नहीं ये मैं नहीं
ये तुम हो, कोई और हो, कहीं और से आये हो,
कोई और ही सफर है तुम्हारा
वो जो नहीं है मेरा, नहीं हो सकता मेरा
उसी पल में बदल गया मन का मौसम
एक बेरुखी आ बैठी बीच
और वे जो एक हो सकते थे
फिर से अपने अपने कोनों में सिमट गए
रेल गाड़ी स्टेशन पर रुकी
और अपना अपना बोझा लिए
अपने अपने घर को लौट आये
दो मुसाफिर। ..
- vinny
१४/१२/१७
No comments:
Post a Comment