Sunday 28 August 2016

लोग कहते हैं

लोग कहते  हैं 
लोग कहते हैं,
चाँद में एक बूढी औरत रहती है,
और समुन्दर की गर्त में,
जलपरियों का महल है,
सूरज सात सफ़ेद घोड़ों के रथ पे सवार ,
रोज़ आसमानों के चक्कर लगता है,
और रात होने पर,
परियां बर्फ के सफ़ेद मैदानों में खेला करती हैं,
लोग क्या क्या कहते हैं,
कहते हैं,तलवार से कलम बलवान है,
और ये के अंत में,
सच की ही जीत होती है,
ये के समय का चाक घूमता रहता है, अविरत,
और देर से ही सही,
ईश्वर के दरबार में न्याय होता है,
लोग क्या क्या कहते हैं... 
~ विन्नी 
२८/८/१६  




Wednesday 17 August 2016

बादल बरसे नहीं आज



बादल बरसे नहीं आज
और अब यूँ है के
बादल जब आते है मेरे आकाश
तो आते है किसी तूफ़ान से नहीं 
भीगी भी नहीं इन बारिशों में मैं
यूँ नहीं जैसे किसी शदीद अहसास की गिरफ़्त हो
बस कुछ रंग ज़रूर नज़र आते है फलक पर
कभी फीके, कभी चटक भी
लेकिन दूर , गिरफ़्त से दूर,
बस नज़र के पैमानों में रंग भरते
घड़ी भर के लिए
जाने क्या हुआ है
इस बरस मैं बदल गयी हूँ
या फिर ये बादल भी तुम से हैं
दूर , बस दूर, नज़र के पैमानों में रंग भरते
घड़ी भर के लिए ..
-विनी
२६/७/१६

Paperweight



Paperweight (पेपर वेट )
आज मेज़ पर कुछ काग़ज़ बिखरे थे,
पंखे की तेज़ हवा में उड़ते,
बेतरतीब,
कुछ ज़रूरी कुछ मामूली,
कुछ रंगीन,कुछ जर्द कोरे,
और कुछ ऐसे भी,
जिन के होने का सबब बाक़ी नहीं हो अब,
लेकिन फिर भी हों,
हों हवाओं में उड़ने को तैयार,
उन्हें देख यूँ लगा जैसे,
एक पेपर वेट काफ़ी है,
ऐसे सभी अरमानों की परवाज़ रोक लेने को,
कुछ उसी तरह जैसे,
जब दिल पर पत्थर रख लेते हैं लोग,
और ख़्वाहिशें दब कर दम तोड़ देती हैं,
उस बोझ तले ...
-विनी
१६/८/१६

Wednesday 3 August 2016

The Light and the Dark



The light and the dark

The night steals in, quiet, 

Where were you all day? He asked?
I couldn't see beyond the shadows, 
They were everywhere, 
I had to look up a friend she said, 
A dream catcher,
Took some convincing but now he's here,
My dreams will have some colour now ,
They were getting a tad dreary you know ,
The day smiled, to each our own he said,
Personally I'd rather live in the hundred shades of grey you have,
Than the blinding lights,
It seems to me, she said,
You and I , we live ,
Neither in the harshness of the lights,
Nor in the dead of the dark ,
But in the spaces in between ....

`~Vinny 
21/7/16