Monday, 9 March 2015

manzilen मंज़िलें



शाख़ से टूटे पत्ते ने,
बादलों से बिछड़ी बूँद से,
चुपके से कहा...
आओ , सफर की बातें करें,
मंज़िलें मिल जाएँ तो,
मामूली लगती हैं ....
~ विन्नी 

९/३/१५ 

Shakh se toote patte ne,
Badlon se bichdee boond se,
Chupke  se kaha ...
Aao safar ki baaten karen,
Manzilen mil jayen,
To Mamooli lagtee hain ...
- Vinny
9/3/15

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