Sunday, 3 March 2019

मौसम ए सरमा

मौसम ए  सरमा

शदीद इंतज़ार था जिसका
इस बरस, वो बहार
गर आये ही नहीं तो क्या हो ?
यूं गुल कुछ पशेमान हैं इस बरस
हवाएं सर्द  हैं और मौसम परेशां
कुछ गफलत सी है
कुछ है छिपा हुआ उस जानिब
कुछ है जो आशकार नहीं
दिल कहता है
ये ख़ैर की अलामत नहीं 
और वो बहार जिस की जुस्तजू
टिमटिमाती हुई एक लौ की मानिंद
मेरी हमराह रही है इस मौसम ए सरमा
अब बुझ जाना चाहती है
यक़ीनन उस उम्मीद की मानिंद
जिस की हकीकत नसीब न हो
मुमकिन है इस बरस
बहार आये ही नहीं। ..
~ विन्नी
३/३/१९

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