कुछ इस तरह से वो अपना लगे है मुझे,
यूं के हर शह उसकी निशानी लगे है मुझे.
क्या खूब उस रौशन निगाह की जादूगरी,
एक नज़र देख ले तो सवेरा लगे है मुझे.
नदिया ,कश्ती, बारिश, मैं और तुम,
ये मंज़र ख्वाब सा लगे है मुझे.
क्या जानिए क्या नवाज़ दे किस्मत मेरी,
वक़्त की चल बदली बदली सी लगे है मुझे.
उस के दर से लौटे तो कुछ यूं हुआ मोहसिन,
हर रूह परेशान, हर मौज प्यासी लगे है मुझे
`विन्नी
7/9/15
kuch is tarah se woh apna lage hai mujhe,
yoon ke har sheh uski nishani lage hai mujhe.
Kya khoob us roshan nigah ki jaadugari,
Ek nazar dekh le toh savera lage hai mujhe .
Nadiya kashti baarish, main aur tum,
ye manzar khwab sa lage hai mujhe.
Kya janeye Kya nawaz de kismat meri,
Waqt ki chal badli
badli se lage hai mujhe.
Us ke dar se laute to kuch yoon Hua mohsin,
har rooh pareshan, har mauj payasi lage hai mujhe.
-Vinny
7/9/15
No comments:
Post a Comment