Tuesday, 4 December 2018

mausam

मौसम 

कुछ यूं हुआ होगा 

मध्यम हुआ होगा सूरज 
और जल उठी होगा शम्मा 
हारी होगी लड़ाई उसने 
और धीरे धीरे बुझ गयी होगी रौशनी 
मौसम यक ब यक नहीं बदला करते 

खिड़कियां खुली ही होंगी पहले पहले 
फिर एक अंधड़ उठा होगा 
बंद की गयी होंगी खिड़कियाँ 
मौसम यूं ही बदला होगा 

दिन तो खुश ही रहा होगा
रंगीन, रोशन , हरा भरा 
फिर शाम की सियाही ने मिटाये होंगे कुछ रंग 
 तनहा  रात हारी होगी उदासी से  
मौसम यक  ब  यक नहीं बदला करते 

सर्द हवाओं ने दिशा बदली होगी 
सब्ज़ बाग़ कुछ सहमे होंगे 
पीले पड़े पत्तों में सरसराहट सी होगी 
परिंदों ने भी चुप रहना सीखा होगा 
मौसम यूं ही बदला होगा 

हँसती आँखों में समाया होगा 
बदरंग सा तिनका कोई 
सैलाब सा आया होगा 
रुक गया होगा होंठों पर 
मन का मौसम यूं ही बदला  होगा 

~  विन्नी 
४/१२/१८