Wednesday 6 July 2016

इंतज़ार

इंतज़ार
तुम हो,
हो, उन काले बादलों की मानिंद,
हवा की इस महक भरी नमी की मानिंद,
हो, वो एहसास हो,
जो है नहीं , लेकिन फिर भी,
जिस के होने से,
दिल सब्ज़ है, इन दिनों,
तुम,
किसी दिन उस बादल से,
बरस जाओ अगर,
तो सूर्खरूह हो जाऊँ मैं भी,
कुछ, इस बरखा में खिले,
उस सुर्ख़ गुल की मानिंद ...
-विनी
६/७/१६